BA Semester-5 Paper-2A History - History of Modern World (1453 A.D-1815 A.D) - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2A इतिहास - आधुनिक विश्व का इतिहास (1453 ई. से 1815 ई.) - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2A इतिहास - आधुनिक विश्व का इतिहास (1453 ई. से 1815 ई.)

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :144
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2787
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2A इतिहास - आधुनिक विश्व का इतिहास (1453 ई. से  1815 ई.) - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- 1799 के संविधान पर प्रकाश डालिए। प्रथम सलाहकार के रूप में नेपोलियन के कार्यों का वर्णन कीजिए।

अथवा
प्रथम कौंसिल के रूप में नेपोलियन बोनापार्ट के सुधारों का वर्णन कीजिए।

उत्तर -

1799 का संविधान

कॉन्सिल ने अपनी नियुक्ति के बाद अपने उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए नये संविधान की रचना की। क्रांति के आरम्भ के बाद यह चौथा संविधान था। इस संविधान को फ्रांस की जनता ने विशाल बहुमत से स्वीकार किया था। इस नये संविधान में नेपोलियन के विचारों की छाप थी। इस संविधान में कार्यकारणी को प्रधानता प्रदान की गयी थी। नाम के लिए गणतन्त्रात्मक शासन प्रणाली कायम रही, किन्तु वास्तव में सम्पूर्ण शक्ति नेपोलियन के हाथों में रही। नये संविधान का प्रारूप इस प्रकार था -

1. कार्यपालिका - नये संविधान के अनुसार कार्यपालिका - सत्ता सीनेट द्वारा 10 वर्षों के लिए निर्वाचित तीन कॉन्सिलों की एक समिति के हाथों में सौंपी गयी। प्रथम कॉन्सिल नेपोलियन स्वयं था, जिसके हाथों में प्रायः समस्त सत्ता केन्द्रित थी। मन्त्रियों, राजदूतों, सेना के अफसरों, न्यायाधीशों तथा शासन के असंख्य कर्मचारियों को नियुक्त करने का तथा विधायिका सभा की स्वीकृति के साथ युद्ध एवं सन्धि करने का अधिकार प्रथम कॉन्सिल के हाथों में ही था।

2. विधायिका - कानून बनाने के लिए निम्नलिखित तीन सदनों की एक विधायिका का निर्माण किया गया- 

(i) राज्य परिषद इसका कार्य कानून के मसौदे तैयार करना था।
(ii) सौ सदस्यीय ट्रिब्यूनेट इसका कार्य मसौदों पर बहस करना था।
(iii) सौ सदस्यीय विधान सभा - इसका काम मसौदों पर मत देना था।

कानून के मसौदे प्रथम कॉन्सिल के आदेश पर तैयार किये जाते थे और उसी की अन्तिम स्वीकृति से वे कानून बनते थे।

3. सीनेट - इन तीनों सदनों के अतिरिक्त एक 60 सदस्यीय सदन सीनेट था, जिसका काम यह निर्णय करना था कि कोई कानून संविधान के अनुकूल है या प्रतिकूल। इसके अतिरिक्त कॉन्सिलों के निर्वाचन तथा ट्रिब्यूनेट और विधान सभा के सदस्यों के निर्वाचन का भी अधिकार इसी सदन को था। 

इस संविधान में स्थानीय शासन के समस्त कर्मचारियों की नियुक्ति का अधिकार भी प्रथम कॉन्सिल को मिला। इस प्रकार फ्रांस का समस्त राष्ट्रीय तथा स्थानीय शासन प्रभावकारी ढंग से नेपोलियन के हाथों में केन्द्रित हो गया। लियो गरशॉय के अनुसार, "नये संविधान ने नेपोलियन को फ्रांस में अनुशासन रखने वाला 'ड्रिल मास्टर' बना दिया था।' वास्तव में नेपोलियन एक नया निरंकुश शासक बनने की तैयारी कर रहा था और 1799 ई. का संविधान इस दिशा में उठाया गया पहला कदम था।

नेपोलियन द्वारा किये गये कार्य अथवा सुधार

नेपोलियन द्वारा किये गये कार्यों / सुधारों को निम्न प्रकार से समझा जा सकता है-

4. नेपोलियन के द्वारा विधि संहिता का निर्माण - नेपोलियन का सबसे स्थायी कार्य नागरिक कानूनों का संकलन था। राष्ट्रीय सभा ने फ्रांस के लिए एक नया विधान बनाने का कार्य कमेटी को सौंपा था परन्तु आन्तरिक विद्रोह तथा रक्तपात एवं बाह्य आक्रमणों के कारण इस दिशा में कोई कार्य नहीं हो पाया था। नेपोलियन ने इस ओर ध्यान दिया और कानूनों की एक संहिता तैयार करवाई, जिसे 'नेपोलियन की कानून संहिता कहा जाता है। इसमें पाँच तरह के कानूनों का संग्रह है, ये हैं -

1. सिविल कोड (नगरिक संहिता),
2. कोड ऑफ सिविल प्रोसीजर (नागरिक प्रक्रिया की संहिता),
3. पीनल कोड (दण्ड- विधान),
4. कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर (अपराधमूलक प्रक्रिया की संहिता),
5. कॉमर्शियल कोड (व्यवसाय सम्बन्धी कानून)।

इस विधि संहिता के निर्माण में नेपोलियन ने व्यक्तिगत रुचि ली। इस विधि-संहिता में पुरातन एवं क्रांतिकारी कानूनों का समन्वय किया गया था। इस संहिता के लागू होते ही क्रांति से पहले एवं क्रांतिकाल में बने कानूनों को समाप्त कर दिया गया। इस संहिता में जूरी की सहायता से खुले मुकदमे सुनने की व्यवस्था की गयी थी। क्रांति के समय के कानूनों के लिए सबकी समानता के सिद्धान्त को स्वीकार किया गया। इस तरह विशेषाधिकार और सामन्ती समाप्त हो गये। सम्पत्ति में सभी पुत्रों को बराबरी का अधिकार दिया गया। विवाह को एक पवित्र एवं स्थायी बन्धन माना गया। परिवार में पिता को सर्वोपरि स्थान दिया गया। नेपोलियन ने स्त्रियों को पुरुषों की अपेक्षा कम महत्व दिया। कैथोलिकों के विरोध के बावजूद भी नेपोलियन ने सिविल मैरिज व तलाक को स्वीकार किया। आज भी फ्रांस में एकमात्र मान्य विवाह पद्धति 'सिविल मैरिज के समय वर-वधू को नेपोलियन की संहिता की धाराओं के अन्तर्गत शपथ लेनी पड़ती है। व्यक्तिगत सम्पत्ति के सिद्धान्त को मान्यता दी गयी और भूमि पर स्वामी के अधिकार को ठोस बनाया गया। विधि संहिता में पूँजीवादी आर्थिक व्यवस्था को संरक्षण दिया गया और इसके लिए ठेका, ऋण, पट्टेदारी तथा स्टॉक कम्पनियों के सम्बन्ध में अनेक प्रकार के उपबन्ध रखे गये। ब्याज की दर निश्चित की गयी। मालिक - मजदूर संघर्ष में मालिकों के हितों को महत्व दिया गया।

नेपोलियन की विधि-संहिता उसका सबसे स्थायी कार्य सिद्ध हुआ। आज भी यह फ्रांस की विधि- संहिता है और यूरोपीय देशों के कानूनों का मुख्य आधार है। नेपोलियन ने इस विधि संहिता की महत्ता को स्वीकार करते हुए सेंट हेलना में एक बार कहा था, "मेरा वास्तविक गौरव मेरे चालीस युद्धों की विजयों में नहीं है, मेरी विधि संहिता ही ऐसी है जो कभी न मिट सकेगी और चिरस्थायी सिद्ध होगी। नेपोलियन की विधि - संहिता सभ्य समाज की रूपरेखा प्रस्तुत करती है। यह एक उदारवादी एवं जनतंत्रीय अभिलेख है। यद्यपि नेपोलियन ने कानूनी शिक्षा प्राप्त नहीं की थी फिर भी विधि-संहिता उसकी कानूनी योग्यता का ज्वलंत उदाहरण है। इतिहासकार केटलवी के अनुसार, यह संहिता सामान्य बुद्धि तथा अनुभव पर आधारित थी न कि सिद्धातों पर।" इसमें कोई राजनीतिक अथवा धार्मिक पक्षपात नहीं था। नेपोलियन की विधि - संहिता चाहे अपूर्ण एवं संक्षिप्त थी परन्तु इसकी लोकप्रियता का सबसे बड़ा प्रमाण यही है कि यूरोप के बाहर भी इसे लागू किया गया। नेपोलियन की विधि संहिता को 'कोड नेपोलियन' भी कहा जाता है।

2. नेपोलियन के प्रशासनिक सुधार - युद्धों से मुक्त होने के बाद नेपोलियन ने देश की आंतरिक सुरक्षा पर ध्यान दिया। क्रांति के दस वर्षों में अव्यवस्था एवं अराजकता के कारण फ्रांस की स्थिति बिगड़ गयी थी। नेपोलियन इस बात को आवश्यक मानता था कि देश का शासन सुव्यवस्थित हो और क्रांति के आदर्शों के अनुरूप उसमें सुधार हो। नेपोलियन ने स्वयं कहा, "मेरा काम क्रांति के परिणामों को स्थिरता प्रदान करना है।' नेपोलियन ने फरवरी 1800 के कानून द्वारा पुरातन व्यवस्था के इन्टैण्डेंटों (राज्य स्तर के प्रशासक) की भांति एक व्यवस्था स्थापित कर शासन का केन्द्रीयकरण कर दिया। विभागों में प्रीफेक्ट, जिलों में उप- प्रीफेक्ट और कम्यून के मेयर सभी सरकार द्वारा मनोनीत किये जाने लगे। नेपोलियन ने राष्ट्र के सचिवालय का विकास किया और मारे के नियंत्रण में राज्य मंत्रालय बनाया जो देश का केंद्रीय लेखा कार्यालय बन गया। अब नेपोलियन प्रत्येक विभाग के कार्यों की देखभाल स्वयं कर सकता था। किसी भी मंत्रालय का सामूहिक उत्तरदायित्व नहीं रह गया था। प्रीफेक्ट तथा उप- प्रीफेक्ट जो नेपोलियन द्वारा नियुक्त किये जाते थे, अपने-अपने विभागों के लिए उत्तरदायी हो गये। प्रीफेक्टों को सिग्नल एवं तार द्वारा सदैव पेरिस से सम्पर्क में रहना पड़ता था। पूरे फ्रांस में केन्द्रीय सरकार की नीतियां समान रूप से लागू हो गयीं।

नेपोलियन ने केन्द्रीय शासन को पहले से कहीं अधिक शक्तिशाली बनाया एवं घोषणा की कि फ्रांस को समानता चाहिए न कि स्वतंत्रता। नेपोलियन ने ऐसा सुदृढ़ एवं व्यवस्थित शासन स्थापित करने का प्रयास किया, जिसमें जनता सुरक्षा का अनुभव करते हुए अपना जीवन शान्ति से बिता सके। निःसंदेह नेपोलियन ने अपनी लगन, परिश्रम और ईमानदारी से शासन व्यवस्था को पुनर्गठित करने का प्रयास किया।

3. नेपोलियन के न्यायिक सुधार - नेपोलियन ने कानून व्यवस्था एवं न्यायिक व्यवस्था में भी परिवर्तन किये जो दीर्घजीवी एवं स्थायी रहे। जजों को पूर्ण स्वतन्त्रता दे दी गयी। सरकार द्वारा नियुक्त किये गये जज हटाये नहीं जा सकते थे। 1797 के संविधानों में उल्लिखित लोगों के नागरिक अधिकार, जूरी प्रणाली, अपराधियों पर सार्वजनिक रूप से अभियोग चलाना, व्यापार चलाने की स्वतंत्रता, धार्मिक स्वतंत्रता आदि अधिकारों को नेपोलियन ने महत्वपूर्ण परिस्थितियों में थोड़ा कम कर दिया। बीस से अधिक व्यक्ति पुलिस की अनुमति के बिना किसी स्थान पर एकत्र नहीं हो सकते थे। किसी के घर भी रात में छापा मारा जा सकता था एवं किसी को भी हिरासत में लिया जा सकता था। नेपोलियन के समय में पुलिस बहुत शक्तिशाली हो गयी थी। राजकीय कारागारों की स्थापना की गयी। राजनीतिक बन्दियों के लिए आदेश पत्रों की प्रथा को पुनः स्थापित कर दिया गया। व्यक्तिगत सुरक्षा उतनी ही असुरक्षित थी जितनी विचारों की स्वतंत्रता। राजनीतिक बन्दियों को बिना कारण बताये गिरफ्तार किया जा सकता था। नेपोलियन के कानूनों ने फ्रांसीसी नागरिकों की सम्पत्ति की रक्षा की। नेपोलियन के अनुसार, "स्वतन्त्र लोग वहीं हैं जो व्यक्ति और सम्पत्ति का आदर करते हैं।" नेपोलियन ने शीघ्रता से न्याय करने का कोई प्रबन्ध नहीं किया। न्याय का आधार नेपोलियन की विधि संहिता बनाया गया।

4. नेपोलियन के आर्थिक सुधार - क्रांति के समय फ्रांस की दशा आर्थिक रूप से बहुत खराब हो गयी थी। करों को वसूल करने का ठीक प्रबन्ध न था, मुद्रा का अवमूल्यन हो रहा था, कृषि और व्यापार नष्ट हो रहे थे। नेपोलियन ने देश की अर्थव्यवस्था को ठीक करने का प्रयास किया। उसने मितव्ययता पर ध्यान दिया। कर वसूल करने का कार्य स्थानीय संस्थाओं के हाथ से लेकर केन्द्रीय सरकार द्वारा नियुक्त कर्मचारियों को दे दिया गया। इससे करदाताओं एवं राजकोष दोनों को लाभ हुआ। अब करदाताओं को कम कर देना पड़ता था और राजकोष में अधिक कर पहुंचता था। नेपोलियन ने 1800 ई. में 'बैंक ऑफ फ्रांस' का गठन किया, जिसे वित्त सम्बन्धी अनेक अधिकार दिये गये। बैंक द्वारा फ्रांस में मुद्रा निर्गमन की प्रणाली का सर्वप्रथम विकास हुआ। लोगों को बैंक से ऋण देने की व्यवस्था की गयी। क्रांतिकाल में सामन्तों और चर्च की जो भूमि छीनकर किसानों में बाँट दी गयी थी वह उन्हीं के पास रहने दी। नेपोलियन ने यथासम्भव सेना के खर्च का बोझ विजित प्रदेशों पर डाला और फ्रांस की जनता को इस भार से मुक्त रखने की कोशिश की।

नेपोलियन ने व्यापार के विकास के लिए आवागमन के साधनों की तरफ पर्याप्त ध्यान दिया। व्यापारियों तथा साहूकारों को व्यापार बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन दिया। व्यवसायियों को नयी मशीनों द्वारा काम करने के लिए प्रोत्साहित किया गया। फ्रांसीसी वस्तुओं की बिक्री व लोकप्रियता बढ़ाने के लिए अनेक प्रर्दशनियों का आयोजन किया गया। उत्कृष्ट वस्तुएँ बनाने वाले को सरकार की तरफ से प्रोत्साहित किया जाता था। स्वदेशी वस्तुओं के उत्पादन को बढ़ाने के लिए इंग्लैण्ड से आने वाले माल पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया। अधीनस्थ देशों से सस्ते दामों पर कच्चा माल आयात करके बनी वस्तुओं को महंगा निर्यात किया गया ताकि फ्रांस को अधिकतम लाभ हो।

5. नेपोलियन के शिक्षा सम्बन्धी सुधार -  नेपोलियन शिक्षा को भी शक्ति का स्रोत मानता था क्योंकि शिक्षा से लोगों के विचारों पर नियंत्रण रखा जा सकता था और उन्हें प्रशासन में प्रशिक्षण भी दिया जा सकता था। अतः नेपोलियन जनता के विचारों को शिक्षित एवं प्रभावित करने में लग गया। नेपोलियन ने शिक्षा को चर्च के प्रभाव से मुक्त करके उस पर राजकीय नियंत्रण स्थापित किया। नेपोलियन ने शिक्षा के राष्ट्रीय एवं धर्मनिरपेक्ष स्वरूप को स्वीकार किया।

नेपोलियन ने शिक्षा को चार स्तरों पर विभाजित किया - प्राथमिक, माध्यमिक, विश्वविद्यालय एवं तकनीकी। प्रत्येक नगर में प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालय स्थापित किये गये। सारे देश के लिए एक विश्वविद्यालय की स्थापना की गयी। इस विश्वविद्यालय के सारे कर्मचारियों की नियुक्ति स्वयं नेपोलियन करता था। यह विश्वविद्यालय ही अन्य विद्यालयों के प्रबन्धन का कार्य करता था। व्यावसायिक एवं तकनीकी शिक्षा के लिए व्यवसायिक एवं तकनीकी स्कूलों की स्थापना की गयी। सैनिक शिक्षा के लिए मिलीटरी स्कूलों की स्थापना की गयी। शिक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए एक प्रशिक्षण विश्वविद्यालय भी खोला गया। ये विद्यालय आज भी फ्रांस की शिक्षा व्यवस्था में प्रतिष्ठित संस्थाएँ मानी जाती हैं। नेपोलियन ने निर्धन एवं प्रतिभावान विद्यार्थियों के लिए छात्रवृत्ति की व्यवस्था की। उसने शोधकार्यों के लिए एक पृथक् संस्थान भी स्थापित किया। नेपोलियन ने विभिन्न विषयों के अनुसंधान केन्द्र खोलकर साहित्य, कला और विज्ञान को प्रोत्साहन दिया।

नेपोलियन के अनुसार - शिक्षा का उद्देश्य युवा लोगों को राष्ट्र की सेवा के लिए शिक्षित करना था, लड़कों को डाक्टर, सिविल कर्मचारी, कारीगर, मजदूर और सिपाही बनाना और लड़कियों को कर्त्तव्यपरायण और आज्ञाकारी गृहणियाँ और माताएँ बनाना था। नेपोलियन स्त्रियों की शिक्षा के प्रति उदासीन था। प्रत्येक शिक्षा संस्था को ईसाई धर्म की नैतिकता, देश के अध्यक्ष के प्रति भक्ति और विश्वविद्यालयों के आदेशों को शिक्षा के मूल आधार के रूप में मानना पड़ता था। उसने शिक्षा व्यवस्था में समानता स्थापित करने के भी प्रयत्न किये। सारे स्कूल सैनिक पद्धति के अनुरूप चलाये जाते थे। सारे स्कूलों के पाठ्यक्रम, पाठ्य-पुस्तकें और वर्दी एक ही थी। केवल विश्वविद्यालय के स्नातक ही शिक्षा दे सकते थे और विश्वविद्यालय के प्रमाणपत्र के बिना नया स्कूल खोलने या सार्वजनिक रूप से शिक्षा देने का अधिकार किसी को नहीं रहा।

6. नेपोलियन के धार्मिक सुधार - क्रांतिकाल में चर्च के प्रभाव में अत्यधिक कमी हो गयी थी। लोगों ने चर्च एवं पादरियों की अत्यधिक निन्दा की थी। नेशनल असेम्बली ने चर्च की सम्पत्ति को अधिगृहित कर लोगों में बाँट दिया था या बेच दिया था। चर्च की शक्ति को कमजोर करने की हर सम्भव कोशिश की गयी थी, जिसके कारण फ्रांस के अधिकांश कैथोलिक असंतुष्ट थे। यद्यपि नेपोलियन धर्म के क्षेत्र में तटस्थ था, परन्तु वह धर्म का उपयोग अपनी राजनीतिक व्यवस्था को मजबूत बनाने में करना चाहता था। मिस्र और इटली के अनुभवों से वह धर्म का राजनीतिक महत्व समझ चुका था। उसके अनुसार राज्य में एक ही धर्म होना चाहिए, जो राज्य के नियंत्रण में हो। वह धर्म को एक महत्वपूर्ण शक्ति मानने लगा था, फलतः उसने 1802 ई. में पोप से धार्मिक समझौता कर लिया, जो कोंकोर्दा (Concordat) या धर्म-सन्धि के नाम से विख्यात हुआ। इस समझौते के अन्तर्गत कैथोलिक धर्म को राजकीय धर्म के रूप में स्वीकार किया गया। बिशपों के नाम प्रस्तुत करने का अधिकार सरकार को दिया गया परन्तु उनकी नियुक्ति का अधिकार पोप को सौंपा गया। बिशप सरकार की अनुमति से पादरी नियुक्त करेंगे। राज्य धर्म गोष्ठियों का निरीक्षण करेगा। राज्य ही बिशप एवं पादरियों को वेतन देगा। चर्च राज्य की सम्पत्ति होंगे, परन्तु बिशप उनका उपयोग कर सकते हैं। चर्च के क्यूरे (Cure) पादरी को कानून बनाने का, पालन करने का, सम्राट के प्रति श्रद्धा रखने का और अनिवार्य सैनिक भर्ती के पक्ष में प्रचार करना पड़ता था।

यह एक महत्वपूर्ण समझौता था। इस प्रकार नेपोलियन ने धर्म द्वारा अपने शासन को सुदृढ़ और प्रभावी बनाया। चर्च अब राज्य का प्रतिद्वन्द्वी न होकर उसका सहभागी हो गया था। नेपोलियन की धार्मिक नीति से फ्रांस की जनता संतुष्ट हो गयी, जिससे नेपोलियन की सरकार को प्रबल जन समर्थन प्राप्त हो सका। परन्तु यह समझौता बहुत समय तक नहीं चल सका। 1807 ई. को नेपोलियन ने पोप के राज्य पर अधिकार कर लिया और पोप को गिरफ्तार कर लिया।

 

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- यूरोप में राष्ट्रीय राज्यों के उदय का वर्णन कीजिए और उनके पतन की समीक्षा कीजिए
  2. प्रश्न- फिलिप-II की विदेश नीति एवं धार्मिक नीति की विवेचना कीजिए।
  3. प्रश्न- फिलिप-II की धार्मिक नीति पर प्रकाश डालिए।
  4. प्रश्न- एक वंशानुगत शासक के रूप में चार्ल्स पंचम की समस्याओं का वर्णन कीजिए।
  5. प्रश्न- रूस के आधुनिकीकरण हेतु पीटर महान ने क्या उपाय किये
  6. प्रश्न- "एलिजाबेथ का शासनकाल इंग्लैंड के इतिहास का स्वर्ण युग था।' इस कथन की व्याख्या कीजिए।
  7. प्रश्न- सामन्तवाद के पतन के लिए उत्तरदायी कारणों का उल्लेख कीजिए। (कानपुर 2012)
  8. प्रश्न- यूरोपीय सामन्तवाद की विशेषतायें बताइये।
  9. प्रश्न- स्पेन के सम्राट चार्ल्स पंचम पर संक्षिप्त नोट लिखिए।
  10. प्रश्न- राष्ट्रीय राज्यों के उदय के कारण स्पष्ट कीजिए।
  11. प्रश्न- निरंकुशवाद की विशेषतायें बताइये।
  12. प्रश्न- राष्ट्रीय राज्यों के उदय के परिणामों पर प्रकाश डालिए।
  13. प्रश्न- स्पेन के उत्कर्ष के क्या कारण थे?
  14. प्रश्न- रूस के पीटर महान का प्रबुद्ध निरंकुश शासक के रूप में मूल्याँकन कीजिए।
  15. प्रश्न- चार्ल्स पंचम के शासनकाल की प्रमुख गतिविधियों का वर्णन कीजिए।
  16. प्रश्न- चार्ल्स पंचम की गृह नीति की विवेचना कीजिए।
  17. प्रश्न- सोलहवीं सदी में यूरोप में राष्ट्रीयता का उदय किन तत्वों के अन्तर्सयोजन का परिणाम था?
  18. प्रश्न- स्पेन के पंतन के क्या कारण थे?
  19. प्रश्न- नीदरलैण्ड के विद्रोह के क्या कारण थे?
  20. प्रश्न- हेनरी चतुर्थ ने फ्रांस को किस प्रकार सुदृढ़ किया था? स्पष्ट कीजिए।
  21. प्रश्न- प्रबुद्ध निरंकुशवाद से आप क्या समझते हैं?
  22. प्रश्न- कैथेरिन द्वितीय के जीवन चरित्र एवं कार्यों का मूल्याँकन कीजिए।
  23. प्रश्न- पीटर महान की 'खुली खिड़की' की नीति के विषय में आप क्या जानते थे? इस नीति के क्रियान्वयन में वह कहाँ तक सफल रहा?
  24. प्रश्न- प्रबुद्ध निरंकुशवाद के पतन के क्या कारण थे?
  25. प्रश्न- फर्डीनेण्ड और ईसाबेला की उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
  26. प्रश्न- फिलिप द्वितीय की गृहनीति की विवेचना कीजिए।
  27. प्रश्न- तानाशाही के गुण एवं दुर्गुण क्या हैं?
  28. प्रश्न- हेनरी चतुर्थ की विदेश नीति पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  29. प्रश्न- हेनरी सप्तम की गृहनीति का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  30. प्रश्न- कैथरीन द्वितीय की धार्मिक नीति का वर्णन कीजिए।
  31. प्रश्न- हेनरी अष्टम् की धार्मिक नीति का वर्णन कीजिए।
  32. प्रश्न- मेरी ट्यूडर का मूल्याँकन कीजिए।
  33. प्रश्न- चार्ल्स द्वितीय की विदेश नीति पर प्रकाश डालिए।
  34. प्रश्न- हेनरी अष्टम् व पोप के मध्य संघर्ष का वर्णन कीजिए।
  35. प्रश्न- चार्ल्स पंचम की धार्मिक नीति पर प्रकाश डालिए।
  36. प्रश्न- क्या फ्रेडरिक महान को सही अर्थों में एक प्रबुद्ध निरंकुश शासक कहा जा सकता है?
  37. प्रश्न- लुई ग्यारहवाँ क्या वास्तव में 'फ्रांसीसी राष्ट्र निर्माता' था? स्पष्ट कीजिए।
  38. प्रश्न- प्रोटेस्टेण्ट धर्म की विशेषताएँ क्या थीं?
  39. प्रश्न- 16वीं सदी की धार्मिक उथल-पुथल का क्या प्रभाव पड़ा?
  40. प्रश्न- काल्विनवाद की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  41. प्रश्न- ऐंग्लिकन चर्च का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- काल्विनवाद के प्रमुख सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  43. प्रश्न- पुनर्जागरण से क्या तात्पर्य है? पुनर्जागरण के विभिन्न कारणों का उल्लेख कीजिए।
  44. प्रश्न- पुनर्जागरण के कारणों का उल्लेख कीजिए।
  45. प्रश्न- यूरोपीय देशों के जनजीवन पर पुनर्जागरण के प्रभावों की विस्तार सहित व्याख्या कीजिए?
  46. प्रश्न- यूरोप में पुनर्जागरण के फलस्वरूप मानव के सामाजिक, धार्मिक एवं आर्थिक क्षेत्र में क्या परिवर्तन हुए? स्पष्ट कीजिए।
  47. प्रश्न- पुनर्जागरण की शुरूआत इटली से ही क्यों हुई?
  48. प्रश्न- पुनर्जागरण की प्रमुख विशेषताएँ या लक्षण क्या थे?
  49. प्रश्न- पुनर्जागरण का राजनीतिक क्षेत्र पर क्या प्रभाव पड़ा था?
  50. प्रश्न- पुनर्जागरण का स्थापत्य कला के क्षेत्र पर क्या प्रभाव पड़ा?
  51. प्रश्न- पुनर्जागरण का मूर्तिकला के क्षेत्र में क्या प्रभाव पड़ा?
  52. प्रश्न- पुनर्जागरण का संगीत कला पर क्या प्रभाव पड़ा?
  53. प्रश्न- पुनर्जागरण का विज्ञान के क्षेत्र में क्या प्रभाव पड़ा?
  54. प्रश्न- पुनर्जागरणकाल के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
  55. प्रश्न- जर्मनी में पुनर्जागरण पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  56. प्रश्न- रोम में पुनर्जागरण से आप क्या समझते हैं?
  57. प्रश्न- पुनर्जागरण काल में इटली में साहित्य एवं कला के विकास की विवेचना कीजिए।
  58. प्रश्न- पुनर्जागरण का साहित्य के क्षेत्र में क्या प्रभाव पड़ा?
  59. प्रश्न- यूरोप में धर्म सुधार आन्दोलन का वर्णन कीजिए। काल्विनवाद तथा लूथरवाद की तुलना कीजिए।
  60. प्रश्न- काल्विनवाद से आप क्या समझते हैं? काल्विन का लूथर से तुलनात्मक अध्ययन कीजिए।
  61. प्रश्न- धर्म सुधार आन्दोलन के महत्व एवं परिणामों का वर्णन कीजिए।
  62. प्रश्न- धार्मिक सुधार प्रतिक्रिया आन्दोलन में कौन-कौन से सहायक तत्त्व थे?
  63. प्रश्न- धर्म सुधार आन्दोलन से आप क्या समझते हैं? इस आन्दोलन की पृष्ठभूमि तथा कारणों की व्याख्या कीजिए।
  64. प्रश्न- धर्म सुधार आन्दोलन के तात्कालिक कारण बताइये।
  65. प्रश्न- धर्म सुधार आन्दोलन के बौद्धिक जागरण सम्बन्धी कारण बताइये।
  66. प्रश्न- धर्म सुधार के आर्थिक एवं धार्मिक कारणों का उल्लेख कीजिए।
  67. प्रश्न- धर्म सुधार के राजनीतिक कारणों को समझाइये।
  68. प्रश्न- धर्म सुधार आन्दोलन में मार्टिन लूथर के योगदान का मूल्यांकन कीजिए।
  69. प्रश्न- प्रतिधर्म सुधार आन्दोलन से आप क्या समझतें हैं?
  70. प्रश्न- "धर्म सुधार आन्दोलन पोप-पद की सांसारिकता का भ्रष्टाचार के विरुद्ध एक नैतिक विद्रोह था।' वाइनर एवं मार्टिन के इस कथन की विवेचना कीजिए।
  71. प्रश्न- प्रति धर्म सुधार आन्दोलन से आप क्या समझते हैं? इसके महत्व और परिणामों का विश्लेषण कीजिए।
  72. प्रश्न- प्रतिवादी धर्म सुधार आन्दोलन को निरूपित कीजिए।
  73. प्रश्न- धर्म सुधार आन्दोलन के क्या कारण थे?
  74. प्रश्न- धर्म सुधार आंदोलन के परिणामों की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
  75. प्रश्न- मार्टिन लूथर के बारे में आप क्या जानते हैं?
  76. प्रश्न- मार्टिन लूथर के विचारों को स्पष्ट कीजिए।
  77. प्रश्न- धर्म सुधार आन्दोलन के आर्थिक कारणों को स्पष्ट कीजिए।
  78. प्रश्न- धर्म सुधार आन्दोलन के क्या राजनीतिक कारण थे?
  79. प्रश्न- धर्म सुधार आन्दोलन का तात्कालिक कारण क्या था?
  80. प्रश्न- आग्सबर्ग संधि की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
  81. प्रश्न- धर्म सुधार आन्दोलन का यूरोप के राजनैतिक और आर्थिक विकास पर क्या प्रभाव पड़ा?
  82. प्रश्न- ऐंग्लिकन विचारधारा का धर्म सुधार आन्दोलन में क्या योगदान रहा?
  83. प्रश्न- इंग्लैंड में धर्म सुधार के क्या कारण थे?
  84. प्रश्न- जैसुइट संघ का महत्व बताइए।
  85. प्रश्न- फ्रांस में धर्म सुधार आन्दोलन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  86. प्रश्न- धर्म सुधार आन्दोलन के स्वरूप को बताइये।
  87. प्रश्न- जर्मनी के धर्म सुधार आन्दोलन के क्या कारण थे?
  88. प्रश्न- धर्म सुधार आन्दोलन के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
  89. प्रश्न- यूरोप में कैथोलिक चर्च ने धार्मिक आन्दोलनों को रोकने के लिए क्या प्रयास किए? इन प्रयासों में उसे कहाँ तक सफलता प्राप्त हुई?
  90. प्रश्न- तीस वर्षीय युद्ध के विकास की प्रमुख घटनाओं का सविस्तार वर्णन कीजिए।
  91. प्रश्न- तीस वर्षीय युद्ध के कारणों की व्याख्या कीजिए।
  92. प्रश्न- तीस वर्षीय युद्ध के क्या परिणाम हुए व इसका यूरोपीय इतिहास में क्या महत्व है?
  93. प्रश्न- तीस वर्षीय युद्ध के परिणामों को संक्षेप में बताइए।
  94. प्रश्न- वेस्टफालिया की सन्धि पर संक्षित टिपणी लिखिए।
  95. प्रश्न- वेस्टफेलिया की सन्धि के क्या प्रावधान थे?
  96. प्रश्न- वेस्टफेलिया की सन्धि के क्या परिणाम हुए?
  97. प्रश्न- तीस वर्षीय युद्ध में स्पेन की पराजय के क्या कारण थे?
  98. प्रश्न- इंग्लैण्ड ने सन् 1688 ई. की क्रान्ति के कारणों तथा परिणामों की व्याख्या कीजिए। इस क्रान्ति को 'गौरवपूर्ण (वैभवशाली) क्रान्ति तथा रक्तहीन क्रान्ति क्यों कहा जाता है?
  99. प्रश्न- 1688 ई. क्रान्ति के प्रमुख कारणों का उल्लेख कीजिए।
  100. प्रश्न- क्रान्ति के प्रभाव अथवा परिणामों का वर्णन कीजिए।
  101. प्रश्न- हेनरी सप्तम ने इंग्लैण्ड में किस प्रकार एक सुदृढ़ राज्य की स्थापना की थी? समझाइये।
  102. प्रश्न- हेनरी सप्तम की गृह नीति अथवा आन्तरिक उपलब्धियों के बारे में ज्ञात कीजिए।
  103. प्रश्न- हेनरी सप्तम की सफलता के कारणों पर प्रकाश डालिए।
  104. प्रश्न- हेनरी सप्तम की विदेश नीति के बारे में बताइए।
  105. प्रश्न- एलिजाबेथ का शासनकाल इंग्लैण्ड के इतिहास में स्वर्ण युग था। इस कथन के औचित्य को सिद्ध कीजिए।
  106. प्रश्न- ग्रेट ब्रिटेन में संसदीय सुधारों का क्रमागत अध्ययन प्रस्तुत कीजिए। (कानपुर 2018)
  107. प्रश्न- एलिजाबेथ के शासनकाल में इंग्लैण्ड की नीति के प्रमुख उद्देश्य क्या थे?
  108. प्रश्न- एलिजाबेथ की वैदेशिक उपलब्धियों को समझाइये।
  109. प्रश्न- गौरवपूर्ण क्रान्ति के धार्मिक परिणाम क्या निकले?
  110. प्रश्न- गुलाबों के युद्ध के महत्त्व को समझाइए।
  111. प्रश्न- इंग्लैण्ड की क्रान्ति की विवेचना कीजिए।
  112. प्रश्न- इंग्लैण्ड की वैभवपूर्ण क्रान्ति का महत्व बताइये।
  113. प्रश्न- एलिजाबेथ के समझौते पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
  114. प्रश्न- चार्ल्स द्वितीय कौन था?
  115. प्रश्न- इंग्लैंड के द्वितीय गृहयुद्ध (1646-1649 ई.) के संक्षिप्त परिणाम लिखिए।
  116. प्रश्न- एलिजाबेथ के चरित्र का वर्णन कीजिए।
  117. प्रश्न- 1688 की गौरवपूर्ण क्रान्ति के राजनीतिक, धार्मिक तथा तात्कालिक कारणों को संक्षेप में बताइए।
  118. प्रश्न- इंग्लैण्ड की क्रान्ति को रक्तहीन क्रान्ति क्यों कहा जाता है?
  119. प्रश्न- इंग्लैण्ड के भारतीय उपनिवेश की स्थापना पर प्रकाश डालिए।
  120. प्रश्न- इंग्लैण्ड की एलिजाबेथ प्रथम की विदेश नीति का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
  121. प्रश्न- 'इंग्लैण्ड' में संसदीय व्यवस्था पर टिप्पणी लिखिये।
  122. प्रश्न- गौरवपूर्ण क्रांति के परिणाम स्पष्ट कीजिए।
  123. प्रश्न- इंग्लैंड द्वारा उत्तरी अमेरिका में उपनिवेश की स्थापना का वर्णन कीजिए।
  124. प्रश्न- औद्योगिक क्रान्ति से आप क्या समझते हैं? अमेरिकी क्रान्ति के कारणों को स्पष्ट कीजिए।
  125. प्रश्न- अमेरिका की क्रांति के घटना चक्र का वर्णन कीजिए।
  126. प्रश्न- क्रान्ति पूर्ण अमेरिका की स्थिति पर प्रकाश डालिए तथा अंग्रेजों की असफलता के कारण बताइए।
  127. प्रश्न- अमेरिकी क्रान्ति का स्वरूप क्या था? क्रान्ति के प्रभावों की विवेचना कीजिए।
  128. प्रश्न- अमेरिकी क्रान्ति के महत्व का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
  129. प्रश्न- औद्योगिक क्रान्ति के कारणों को स्पष्ट कीजिए।
  130. प्रश्न- औद्योगिक क्रान्ति प्रभावों को विवेचना कीजिए।
  131. प्रश्न- अमेरिकी क्रान्ति का स्वरूप बताइए।
  132. प्रश्न- अमेरिका में उपनिवेशवाद के महत्व पर प्रकाश डालिये।
  133. प्रश्न- अमेरिका के स्वतन्त्रता संग्राम के दो कारण बताइये।
  134. प्रश्न- 'बोस्टन टी पार्टी' से आप क्या समझते हैं?
  135. प्रश्न- अमेरिकी क्रान्ति के प्रमुख कारणों में उस पर इंग्लैण्ड द्वारा लगाये जाने वाले नवीन कर व एक्ट भी थे। स्पष्ट कीजिए।
  136. प्रश्न- अमेरिकी क्रांति के महत्व का परीक्षण कीजिए
  137. प्रश्न- अमेरिकी क्रान्ति के परिणामों को संक्षेप में बताइए।
  138. प्रश्न- "फ्रांस की क्रांति जितनी शस्त्रों का संघर्ष थी उतनी ही विचारों की " कथन को स्पष्ट कीजिए।
  139. प्रश्न- 1789 की क्रांति से पूर्व फ्रांस की राजनैतिक, सामाजिक एवं आर्थिक दशा का वर्णन कीजिए।
  140. प्रश्न- 1789 ई. की फ्रांसीसी क्रान्ति के तात्कालिक, सामाजिक तथा राजनीतिक कारणों को बताइए।
  141. प्रश्न- बौद्धिक आन्दोलन का फ्रांस की क्रांति पर क्या प्रभाव पड़ा?
  142. प्रश्न- फ्राँस में ही क्रान्ति क्यों हुई? स्पष्ट करें।
  143. प्रश्न- फ्रांस की राज्य क्रान्ति के क्या परिणाम थे?
  144. प्रश्न- सन् 1789 ई. की फ्रांसीसी क्रान्ति के महत्त्व पर प्रकाश डालिए। फ्रांस में ही क्रान्ति पहले क्यों हुई?
  145. प्रश्न- फ्रांसीसी क्रान्ति के प्रारम्भ होने के प्रमुख कारण बताइये।
  146. प्रश्न- स्वतन्त्रता, समानता तथा बन्धुत्व की भावनाएँ 1789 की फ्रांसीसी क्रान्ति का परिणाम थी। परीक्षण कीजिए।
  147. प्रश्न- फ्रांसीसी क्रान्ति (सन् 1789 ई.) के राजनैतिक कारण बताइए।
  148. प्रश्न- फ्रांसीसी क्रान्ति की उपलब्धियों का उल्लेख कीजिए।
  149. प्रश्न- रूसो कौन था उसके विचारों की समीक्षा कीजिए।
  150. प्रश्न- 1789 ई. की फ्रांसीसी क्रान्ति के आर्थिक कारणों की विवेचना कीजिए।
  151. प्रश्न- दांते कौन था? फ्रांसीसी क्रान्ति में उसका क्या योगदान रहा?
  152. प्रश्न- वाल्टेयर तथा दिदरों के विचारों को स्पष्ट कीजिए।
  153. प्रश्न- क्वेस्ने तथा मान्टेस्क्यू के विचारों को प्रस्तुत कीजिए।
  154. प्रश्न- फ्रांसीसी क्रांति का प्रारम्भ किस प्रकार हुआ?
  155. प्रश्न- 1789 की फ्रांस की क्रांति की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  156. प्रश्न- बास्तील के पतन पर संक्षित टिपणी लिखिये।
  157. प्रश्न- फ्रांस की पुरातन व्यवस्था की मुख्य कमियों की विवेचना कीजिए।
  158. प्रश्न- "जैकोबिन क्लब" की फ्रांस की क्रांति में क्या भूमिका थी?
  159. प्रश्न- जिरोंदिस्तों की फ्रांस की क्रांति में क्या भूमिका थी?
  160. प्रश्न- 1789 ई. में फ्रांस की क्रांति के समय तत्कालीन राजा और रानी की भूमिका का वर्णन कीजिए।
  161. प्रश्न- फ्रांस में 14 जुलाई का महत्व क्यों है?
  162. प्रश्न- "नेपोलियन क्रांति का मित्र एवं शत्रु दोनों था।" चर्चा कीजिये।
  163. प्रश्न- 1799 के संविधान पर प्रकाश डालिए। प्रथम सलाहकार के रूप में नेपोलियन के कार्यों का वर्णन कीजिए।
  164. प्रश्न- नेपोलियन की महाद्वीपीय व्यवस्था क्या थी? इसकी असफलता के क्या कारण थे?
  165. प्रश्न- महाद्वीपीय व्यवस्था की असफलता को समझाइए।
  166. प्रश्न- नेपोलियन बोनापार्ट के पतन के क्या कारण थे?
  167. प्रश्न- "मैं क्रान्ति का पुत्र हूँ।"मैंने क्रान्ति को नष्ट किया।" नेपोलियन के इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
  168. प्रश्न- 'यदि नेपोलियन बोनापार्ट का अन्त वर्ष 1807 में हो जाता, तो वैश्विक सैन्य इतिहास में वह सर्वश्रेष्ठ माना जाता।" कथन का परीक्षण कीजिए।
  169. प्रश्न- नेपोलियन बोनापार्ट ने फ्रांस के पुनर्निर्माण के लिए क्या प्रयत्न किये?
  170. प्रश्न- नेपोलियन की महाद्वीपीय व्यवस्था संक्षेप में बताइए।
  171. प्रश्न- टिलसिट की सन्धि पर एक टिप्पणी लिखिए।
  172. प्रश्न- नेपोलियन बोनापार्ट के प्रारम्भिक जीवन का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  173. प्रश्न- नेपोलियन बोनापार्ट वाटरलू के युद्ध में क्यों असफल रहा?
  174. प्रश्न- 1804 1807 के मध्य नेपोलियन के उत्कर्ष पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  175. प्रश्न- नेपोलियन के सौ दिनों के शासन पर लेख लिखिए।
  176. प्रश्न- सम्राट के रूप में नेपोलियन का मूल्यांकन कीजिए।
  177. प्रश्न- नेपोलियन युग का महत्व स्पष्ट कीजिए।
  178. प्रश्न- नेपोलियन द्वारा राजतन्त्रवादियों के विद्रोहों के दमन पर लघु लेख लिखिए।
  179. प्रश्न- नेपोलियन पर रोमन कानून का क्या प्रभाव पड़ा?
  180. प्रश्न- नेपोलियन की सफलता के प्रमुख कारण कौन-कौन से थे? स्पष्ट कीजिए।
  181. प्रश्न- नेपोलियन बोनापार्ट ने फ्रांस के सम्राट का पद कैसे ग्रहण किया? अतः जनता ने उसे क्यों मान्यता दी?
  182. प्रश्न- नेपोलियन के प्रशासन सम्बन्धी सुधारों का वर्णन करो?
  183. प्रश्न- नेपोलियन प्रथम के पतन के कारणों पर प्रकाश डालिए।
  184. प्रश्न- प्रथम कॉन्सल के रूप में नेपालियन द्वारा किए गए सुधारों का वर्णन कीजिए।
  185. प्रश्न- नेपोलियन बोनापार्ट का मूल्यांकन कीजिए।
  186. प्रश्न- नेपोलियन के सार्वजनिक और शिक्षा सम्बन्धी सुधारों का वर्णन कीजिए?

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